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Dil shayrana,

           🌹दिल शायराना🌹
🌷तेरा घर मेरा घर बीच में दूरी ही.. दूरी।🌷
🌷रंग बदल बदल के आए तेरी कभी ..मेरी मजबूरी🌷

🌹आंख मिले ना चाहे ..हाथ मिले ना
दिल मिलने को है.. प्यार जरूरी🌷

🌹तेरे मिलन  की ...राह जोहती 
रोज खिलाउं... काग को चूरी🌷

🌹वही कहानी ....याद  करें सब
जिसमें रही हो हर ....बात अधूरी🌷                          ।                       अचलाएसगुलेरिया
                        Shayaripub.com 

Emotional shayari, Good morning,dil,hindi

बड़ा मुश्किल है जज़्बातो को पन्नो पर उतारना,
.
.हर दर्द महसूस करना पड़ता है..लिखने से पहले..
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         Hindi shayari dil se 

emotional shayari, sad story

#तुम इतने नादां भी नहीं हो 
कि समझ न सको

मेरी #चंद# लाइनों में सिर्फ 
तेरा ही जिक्र होता है#
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        #नींद आई नही रात भर मुझको
              ख़्वाब बैठे रहे क़तारों में।#
             ।जमीन की बात छोड़ दो 
            कोई तुमसा नहीं सितारों में 
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tum# itne  #nadan# bhi nhin ho ki

Ki samajh na sko  meri chand lainon mein
Jikar tumhara hi  hota hai

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emotional shayari

Good night # emotional shayari #


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               जरुरी नहीं है फरिश्ता होना ,
               इंसा का काफी है इंसा होना

         हकीकत ज़माने को अब रास नहीं आती,
          एक गुनाह सा हो गया है आईना होना

            बाद में तो… कारवां बनते जाते है,
             बहुत मुश्किल है लेकिन पहला होना

      हवाओं के थपेड़े झेलने पड़ते है, ऊंचाई पे,
           तुम खेल समझ रहे हो परिंदा होना

            ये लोग, जीते जी मरे जा रहे हैं,
          मैं चाहता हूँ मौत से पहले जिंदा होना


    अपनी गलतियों पे भी नज़रे झुकती नहीं अब,
         लोग भूलने लगे हैं शर्मिंदा होना .......l       .                                   ........ Shayaripub.com 

emotional shayari

1🌷हल्की हल्की सी सर्द हवा
ज़रा ज़रा सा दर्द ए दिल⚘

  🌷अंदाज़ अच्छा है
 ए नवंबर तेरे आने का..⚘
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1🌷जिस्मानी नही है...

जरा रूहानी है...
सूफियानी  है....!!!⚘

🌷मेरा इश्क़...भी ...
और मैं भी...!!!!⚘
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🌷*तेरे बिना*
*मेरा जहां.......*⚘

1🌷*बिना चांद*
*जैसे आसमां..*!!⚘
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!! युगपुरुष भीष्म!!

परिस्थितियां विषम होती हैं तो कोई भीष्म बनता है।
कर्तव्य निष्ठा शौर्य का .....हस्ताक्षर बनता है।।

जननी, गंगा जगतारिणी माता।
ध्वल उज्ज्वल चरित्र....
 जिसको नमन करे विधाता।।

पिता शान्तनु के प्रेम का मूर्त आकार।
श्रेष्ठतम योद्धा वीरता का रुप साकार।

स्नेही पितृ भक्त, राष्ट्र-प्रेमी अनन्य
कुल गौरव सत्यनिष्ठ साहस में अदम्य

मातृप्रेम से वंचित ....
विमाता की महत्वाकांक्षा
पर वलि चढ़ा...
शत्रुसंहारक योद्धा पल पल .....
अन्तरद्वन्द्व से लड़ा।।

एक बचन पालन हेतू सदियों तक जी गया।
कुरु गौरव अखण्डता के लिए
 असीमित जहर पी गया।।

गद्दी पर विराजते अयोग्य और दृष्टिहीन
दृष्टि बना भीष्म मही करे शत्रु विहीन

षडयन्त्र ,प्रपंच ,द्रोह ,मोह का अंधकार।
बचनवद्धता बना, धर्म का आधार।।

धर्म राष्ट्र प्रेमी अब बचन प्रेमी हो गया।
धर्म ध्वज धारी स्व धर्म में ही खो गया।।

स्वयंवर से बेटियों को जबरन उठा लिया।
स्वाभिमान बाप का धूल में मिला दिया।।

सम्मान ,ह्रदय तोड़ ....निज बचन का रक्षण किया।
श्राप अपने मरण का शांत चित्त उठा लिया।।

ऐसे कर्म योगी की कर सकता कोई समता है।
परिस्थितियां विषम होती हैं तो कोई भीष्म बनता है।।

विडम्बना यह भाग्य की या लिखा ललाट का।
अधर्म से खण्डित हुआ कुरु राष्ट्र, जो विराट् था।।

नारी चीर हरण हुआ द्रुत की विसात पर।
मौन रहा कुरु श्रेष्ठ ह्रदय विदारक बात पर।।

विरोध क्यूं न कर सके अन्याय अधर्म षडयंत्र का।
बचन मोह ने बन्द किया, द्वार सिंह अन्तर का।।

इस अपराध को जीवन पर्यन्त अक्षम्य समझता है।
अपराध बोध अग्नि में प्रति पल जलता है।।

अधर्म अनीति कुरु राष्ट्र में चल रहे षडयन्त्र।
भूला धृतराष्ट्र भरत का दिया हर मन्त्र।।

पांडवों से उनका ..हर अधिकार छीन कर।।
नाच रहे कुरु नृप,... गाधांर नृप की बीन पर।।

नीति और अनीति में हो रहा महायुद्ध।
धर्म के पालक सभी लड़ रहे धर्मविरूद्घ।।

चरित्र यह महान चित्र लिखा खड़ा यहां।
राष्ट्र के उत्थान को समर लड़े कहां कहां।।

सम्राट कीअयोग्यता अंधा देश को कर गई।
सौहार्द प्रेम धर्म को द्रुत की विसात निगल गई।।

जीत की आशीष पांडवों को दे यह वृद्ध।
जा रहा राजहित में पांडवों से करने युद्ध।।

भीष्म के चरित्र में सर्वत्र ही विश्मता है।
हर एक मृत्यु पर उसका ह्रदय क्रन्दन करता है।।

धर्म हित में योद्धा ने, शर शैय्या कर ली स्वीकार।
ताकि महायुद्ध में धर्म की न हो जाये हार।।

एक एक शर अर्जुन.... का देहछेदन करता था।
पांडवों के नेत्रों में ...वारिधि उमड़ता था।।

वृद्ध पितामह रक्त रंजित शर शैय्या पर सोते हैं।
दुःख वेदना पीड़ा के अश्रु, केशव के नेत्र भिगोते हैं।।

कृष्ण परम ब्रह्म जिसे प्रणाम करता है।
प्रतिज्ञा पालन पथ पर समर्पित जीवन करता है।।

राष्ट्र प्रेम ,..पितृ प्रेम ..,प्रेम अपने धर्म से।
देवव्रत भीष्म बना ...अपने पवित्र कर्म से।।
 
प्रतिज्ञा जगत के आंगन में सूर्य सम चमकता है।
शौर्य वीरता के उपवन में प्रसून सम महकता है।।

परिस्थितियां विषम होती हैं तो कोई भीष्म बनता है।
कर्तव्य निष्ठा शौर्य का .....हस्ताक्षर बनता है।।
                   अचलाएसगुलेरिया
                   Shayaripub.com 


khush rho

गर्व करे अपने
    दिल पर

 यह खेलता
 है जलता है
  टूटता है

फिर भी धड़कता
    रहता है .........



Goodmorning

तुम्हारा  एक प्रणाम🙏🏼 बदल देता है सब परिणाम ।।          Shayaripub.in