हम दिल नहीं देंगे
तू भी जान मत देना
पर कोशिश एक जरूर करेंगे
4:00 बजे की चाय साथ साथ पिएंगे🍵
घर एक होगा विचार अपने-अपने
एक दूसरे से जुदा तेरे मेरे सपने
तेरे रंग में खुद को कभी नहीं रंगेंगे
बस
4:00 बजे की चाय साथ साथ पिएंगे🍵
जिम्मवारियों का टोकरा कोई नहीं उठाएगा
थोड़ा थोड़ा काम सबके हिस्से जाएगा
प्यार में बंधकर भी बंधन मुक्त जिएंगे
पर
4:00 बजे की चाय साथ साथ पिएंगे 🍵
महज सांत्वना नहीं तेरी पीड़ा ही उठा लेंगे
प्रोत्साहन कि तेरे लिए सीढ़ी बना देंगे
रास्ते के प्रथम राही तुम ही रहोगे
स्तंभ से तेरे पीछे खड़े रहेंगे
फिर
4:00 बजे की चाय साथ साथ पिएंगे🍵
तू ना आए तो तेरे एहसास को बुला लेंगे
सामने वाली कुर्सी पर प्यार से बिठा देंगे
अपना प्याला छोड़ आज तेरा उठा लेंगे
कुछ
ऐसे चाय साथ साथ पियेंगे
सिर्फ एक बात कहनी है वादा नहीं करना है
चल सकते हैं जब तक तेरे साथ चलना है
अब निकल पड़े हैं तो मंज़िल पर रुकेंगे
वहां
4:00 बजे की चाय साथ साथ पिएंगे🍵🍵
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