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मेरा हिमाचल

              देवता बसते यहां ,रहते यहां रमते यहां,
             मेरे हिमाचल जैसा स्वर्ग है कहां.....!!
                  मेरे हिमाचल जैसा स्वर्ग है कहां ?✍

                      भोले चेहरे गोरे गोरे....
                     चालाक भी है हम थोड़े थोड़े...
                        जीवन आदर्श भी ऊंचे हैं
                         सीने अपने चौड़े चौड़े
                        घाटियों पर बसे हम...
                          थोड़े यहां थोड़े वहां....
                         थोड़े यहां थोड़े वहां।।🌲

               मेरे हिमाचल जैसा स्वर्ग है कहां ...!!
                   मेरे हिमाचल जैसा स्वर्ग है कहां ।।✍

                पहाड़ों की मांग यहां बर्फ भरती ⛈
                   🌊  अठखेलियां नदियां करती
                      वह भेड़ों का झुंड लेकर 🐑🐏🐑🐏
                     नवयौवना गिरि चढ़ती
                   इसी में बसते प्राण हमारे ..
                    यही हमारा सारा जहां....
                     यही हमारा सारा जहां ।।🌲

                 मेरे हिमाचल जैसा स्वर्ग है कहां....!!
                   मेरे हिमाचल जैसा स्वर्ग है कहां ?✍
                                                 अचला एस गुलेरिया
                      Shayaripub.com 
              हिन्दी शायरी  दिल से 

वीर योद्धा....इंद्रजीत........मेघनाद

सुनो प्रिये.....
सूर्य उदय होगा हजारों जीवन अस्त करेगा
मैं लड़ा अपने धर्म पर टिका रहा..
कौन मेरे बाद मेरा सत्य स्थापित करेगा ✍

कौन कहेगा पित्र भक्त ...
कौन मानेगा हुआ ...कर्तव्य पथ पर निसार
धिक्कार जीवन !!
धर्म था राष्ट्रहित कहाँ समझेगा संसार।।✍

इंद्रजीत! इंद्रजीत !इंद्रजीत!
अधर्म नहीं धर्म से हारा ...
असत्य नहीं सत्य ने मारा....
पिता ,कुल ,देश ,सर्वोपरि
इच्छायें शून्य रही सदा
युद्ध क्षेत्र रहा आवास
आनंद उन्माद यदा-कदा।।✍

खड़ा रहा चट्टान सा .......
.करता मातृभूमि पर.. अर्पित सर्वस्व
कुल द्रोही , देशद्रोही बने ,
बचाता रहा राष्ट्र वर्चस्व...✍

प्रिये....... (पत्नी सुलोचना के प्रति मेघनाद के उदगार)
प्रेमभाव रखता हृदय ..
चाहता ....समर्पित आलिंगन
तुम्हारा सौंदर्य ....
देता आमंत्रण ...
उन्मुक्त मन चाहता स्नेहबंधन✍

तुम सोंदर्य प्रेम का रुप
मेरी ह्रदय गति,
सम्बन्ध तुमसे अटूट
सहचरी सदैव मेरे जीवन मरण की
समझती मेरे .....दायित्व
छिपा लेती
भावना मन की✍

सुनो ......
चलो रजनी रथ पर हो सवार
पल में युग जिएं
करें उन्मुक्त. .विहार
कल में नहीं जीवन पल में छुपा है
मरण निश्चित है.....
प्रिया मिलन को रुका है।।✍


आ रही बिरह की अंधेरी रात
ना होगी फिर बात ,
ना होगा अपना साथ ....
मातृभूमि पर यह योद्धा
अपना ..प्रेम अर्पित करेगा ।।✍

मैं लड़ा ....धर्म पर टिका रहा
कौन मेरे बाद
मेरा सत्य स्थापित करेगा

प्रकांड पंडित पिता के अभिमान का आधार ।
माता की लोरी में मिले,
समर्पण के संस्कार ।।
असत्य अहित अधर्म
किया नहीं प्रतिकार।।✍

अमर प्रेम समर्पण तुम्हारा
साथ लिए मां का दुलार ।
मिलने चला हूं मुक्ति से
आई लेकर जो राम अवतार।।✍

योद्धा हूँ ... नियति युद्ध है
युद्ध क्षेत्र में फूल नहीं
यह योद्धा शीश समर्पित करेगा ।।✍

मैं लड़ा .....अपने कर्तव्य पर अड़ा रहा
कौन मेरे बाद मेरा सत्य स्थापित करेगा
                अचलाएस गुलेरिया 

कविता...... हमारा धौलाथार

प्यारा धौलाधार न्यारा धौलाधार
हमारा धौलाधार
चित्र भी विचित्र,चित्रकार भी बड़ा है ।
उन्नत शिखर किये,सदियों से खड़ा है ।
हर ऋतु है लाये, तेरे यौवन में निखार
               प्यारा धौलाधार..✍
बर्फ तेरा मुकुट बन,श्रृंगार है करे ।
तेरे उकेरे चित्र में, रँग है भरे ।
शिवालिक तेरा दीवाना,तुझे रहा निहार..
                प्यारा धौलाधार.✍
जब भी दूर जायें ,तू देखता है . दूर तक ।
हम भी तुझको देखते हैं,बार बार ..पलट पलट ।
पिता का दे आभास,तू यूँ रहा निहार..
              प्यारा धौलाधार..✍
आऊँ जब मैं दूर से ,उदास सा थका थका ।
दूर से दिखे खड़ा, बुलाता अपने पास सा ।
जैसे कोई बड़ा,लेने आये द्वार..
             प्यारा धौलाधार...✍
निसर्ग की कल्पना,साकार है तू ।
बसुन्धरा का रजत,कंठ हार है तू ।
हरी भरी ये घाटियाँ,करें तेरा श्रृंगार..
            प्यारा धौलाधार.. ✍
                                  अचला एस गुलेरिया
             Shayaripub.com.  

carona

🔥इस रचना को लिखना  समय की आवश्यकता लगा🔥
                           ✍करोना से डरो✍

समय की आवश्यकता है ..बदलाव अत्यंत अनिवार्य है
 मास्क सैनिटाइजर विहीन हर व्यक्ति अस्वीकार्य है 
दूरी सबसे बना कर चलना सर्वश्रेष्ठ कार्य है।।

 उठो अपने समाज को पहल करके जगाओ
 अत्यंत सामाजिक तत्वों को सोशल डिस्टेंसिंग सिखाओ
 ना तो स्वयं करो कोई उत्सव ना ही भीड़ में जाओ।।

 विवाह समारोह उत्सव  सब खतरनाक असुरक्षित है 
परिवार हित में त्यागो इनको तभी बुजुर्ग सुरक्षित हैं
संवेदनशील हर व्यक्ति जहां है  मात्र सदन  वो रक्षित है ।।

धन दौलत रुतबा सब शादी में दिखाना क्यों ?
तोहफ़े लाए लोगों को मौत ही मौत लौटाना क्यों?
 भयावह स्थिति में देश है खुशियों के कार्ड छपवाना क्यों?

 देश समाज करोना से लड़ रहा 
मौत का आंकड़ा पल-पल बढ़ रहा 
सदमे में डूबे परिवार की  कौन यहां परवाह कर रहा।।

 हमें स्वयं ही स्वयं को बचाना चाहिए 
देश हित में कदम यह उठाना चाहिए
 अति आवश्यक हो जहां जाना 
           सिर्फ वही जाना चाहिए।।
            सिर्फ बहन जाना चाहिए।।
                                            अचला एस गुलेरिया
                  Shayaripub.com 

Goodmorning

तुम्हारा  एक प्रणाम🙏🏼 बदल देता है सब परिणाम ।।          Shayaripub.in