कविता...... हमारा धौलाथार

प्यारा धौलाधार न्यारा धौलाधार
हमारा धौलाधार
चित्र भी विचित्र,चित्रकार भी बड़ा है ।
उन्नत शिखर किये,सदियों से खड़ा है ।
हर ऋतु है लाये, तेरे यौवन में निखार
               प्यारा धौलाधार..✍
बर्फ तेरा मुकुट बन,श्रृंगार है करे ।
तेरे उकेरे चित्र में, रँग है भरे ।
शिवालिक तेरा दीवाना,तुझे रहा निहार..
                प्यारा धौलाधार.✍
जब भी दूर जायें ,तू देखता है . दूर तक ।
हम भी तुझको देखते हैं,बार बार ..पलट पलट ।
पिता का दे आभास,तू यूँ रहा निहार..
              प्यारा धौलाधार..✍
आऊँ जब मैं दूर से ,उदास सा थका थका ।
दूर से दिखे खड़ा, बुलाता अपने पास सा ।
जैसे कोई बड़ा,लेने आये द्वार..
             प्यारा धौलाधार...✍
निसर्ग की कल्पना,साकार है तू ।
बसुन्धरा का रजत,कंठ हार है तू ।
हरी भरी ये घाटियाँ,करें तेरा श्रृंगार..
            प्यारा धौलाधार.. ✍
                                  अचला एस गुलेरिया
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