हरे कृष्ण

*हँसकर जीना दस्तूर है, ज़िदगी का ,*
*एक यही किस्सा मशहूर ज़िदगी का....*

*बीते हुए पल कभी लौटकर नहीं आते,*
*यही सबसे बड़ा कसूर है ज़िदगी का....*

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Good morning

Shayaripub.in पर‌ visit करके मेरी शायरी का आनन्द लें  बांधकर मेरी कलाई पर ताबीज नजर का । वह खुद मुझ पर अपनी  ही नजर लगाए बैठे हैं। वो जो‌ अब...