मन में बसी प्रभु चाह यही
हरि नाम तुम्हारा उचारा करूं ।।
बिठा के तुम्हें मन दर्पण में
मन मोहिनी रूप निहारा करूं।।
भर के द्रग में प्रेम काजल
पद पंकज नाथ पखारा करूं
बन प्रेम पुजारी तुम्हारा प्रभु
नित आरती भव्य उतारा करूं।
हिन्दी शायरी दिल से
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