मैं दरिया भी किसी गैर के हाथों से न लूं।
एक कतरा भी समन्दर है अगर तू देदे।।
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जहाँ तक तुम ने छुआ वही तक जिया हूँ,
बाकी सिर्फ खयाल हूँ, ख्वाब हूँ, धुआँ हूँ.. shayaripub.com
सुनसुनो ना
जैसे
बेमौसम बारिश की
कुछ बूंदें
शाख के पत्तें गीले
कर देती है,
तुम भी
अनायास ऐसे ही मेरी
जिंदगी में आकर
मुझे
प्रेम से भिगो दो....!!!
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सुनो ना!
जैसे
बेमौसम बारिश की
कुछ बूंदें
शाख के पत्तें गीले
कर देती है,
तुम भी
अनायास ऐसे ही मेरी
जिंदगी में आकर
मुझे
प्रेम से भिगो दो....!!!
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