*क्या है कृष्ण होने के मायने ?*
पहली गाली पर 'सर काटने' की शक्ति होने बाद भी; यदि 99 और गाली सुनने का 'सामर्थ्य' है, तो वो कृष्ण है।
सुदर्शन' जैसा शस्त्र होने के बाद भी; यदि हाथ में हमेशा 'मुरली' है, तो वो कृष्ण है।
'द्वारिका' का वैभव होने के बाद भी; यदि 'सुदामा" मित्र है, तो वो कृष्ण है।
'मृत्यु' के फन पर मौजूद होने पर भी; यदि 'नृत्य' है तो, वो कृष्ण है।
सर्वसामर्थ्य' होने पर भी; यदि 'सारथी' है, तो वो कृष्ण है।
*जय श्रीकृष्ण*
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सूली ऊपर सेज हमारी
मीरा कहती है सूली ऊपर सेज हमारी ,
सोवण किस विधि होइ ।
'इधर सूली पर हम बैठे है तुम कहते हो सो जाओ ।
सुली पर सेज लगी हो तो कोई कैसे सोये !
कल सुबह तुम्हारी मौत आने वाली हो ,
कल सुबह तुम्हे फ़ासी लगने वाली हो ,
तुम आज रात सोओगे ?
कोई उपाय नही है सोने का।
यह संसार तो सूली है ,
इसमें सोना कैसे हो सकता है !
इस बात को समझ लो
यह संसार सूली है,
क्योकि इस संसार में सिवाय मौत के और कुछ भी नही घटता ।
जन्म के बाद बस एक ही बात निश्चित है :मौत ।
जन्म के बाद मृत्यु के अतिरिक्त यहा कुछ भी नही घटता ।
बाकी तो सब व्यर्थ की बातचीत है ।
जिसे तुम घटना कहते हो
कि राष्ट्रपति हो गये ,
कि खूब धन कमा लिया ,
कि खूब प्रसिद्धि हो गयी ,
इन सब का कोई भी मूल्य नही है ।
तुम मरे कि सब भूल जाएगा , सब पद खो जाएगा ,
चार दिन के बाद तुम्हे कोई याद करने वाला भी न बचेगा ।कुछ वर्षों बाद ,
तुम हुए भी थे या नही
हुए थे ,
इसमें भी भेद करना मुश्किल हो जाएगा ।
जरा ख्याल करो !
तुमसे पहले अरबो-अरबो
लोग इस पृथ्वी पर हो चुके है । तुम्हारे जैसे ही सपने देखने वाले लोग ,
तुम्हारे जैसे ही धन इकट्ठा करने वाले लोग ,
तुम्हारे जैसे ही पद-लोलुप,
धन -लोलुप !
वो सब अब कहा है ?
उनके नाम भी तो पता नही । वे कहा खो गये ?
हो सकता है ,
जिस धूल में चलकर आये हो उस धूल में पड़े हो ।
तुम जिस जगह पर बैठे हो , वही उनकी लाश गड़ी हो , वही उनकी हड्डिया गल गयी हो ।
कभी वो भी अकड़कर चलते थे जैसे तुम अकड़कर चलते हो ।
कभी किसी का जरा सा धक्का लग गया था तो नाराज हो गए थे ,
तलवारे खिंच गयी थी ।
आज धूल में पड़े है और कोई भी उन्हें पैरो से रौंदे चला जा रहा है ।
न नाराज हो सकते है , न तलवारे खिंच सकते है ।विश्वासी झूठी श्रद्धा में जीता है;:
इसलिए कही पहुच नही पाता। श्रद्धालु यात्रा पर चल पड़ता है।
श्रद्धा की यात्रा ही एक दिन ज्ञान की मंजिल पर पहुचा देती है ।
ज्ञानी पहुच गया ,
श्रद्धालु चल पड़ा ।
विश्वासी सिर्फ सोच रहा है कि चलेगे ,
कि चल रहे है ,
कि पहुच रहे है ।
विश्वासी निद्रा में पड़ा है ।
या तो जौहर बनो या जौहरी बनो !
तो ही तुम समझ पाओगे कि मीरा क्या कह रही है।
ओशो
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