हरे कृष्णा

तन तो एक सराय है,
आत्मा है मेहमान, 
तन को अपना मानकर 
मोह ना कर नादान....

🙏जय श्री राधे🙏🏻


*🔥भंडारा🔥*

*तीन मित्र भंडारे मे भोजन कर रहे थे कि उनमें से पहला बोला....* *""काश....हम भी ऐसे भंडारा कर पाते .....""*

*दूसरा बोला.... हां यार ....सैलरी आने से पहले जाने के रास्ते बनाकर आती हैं ...*

*तीसरा बोला....खर्चे इतने सारे होते है तो कहा से करें भंडारा ....*

*पास बैठे एक महात्मा भी भंडारे का आनंद ले रहे थे वो उन दोस्तों की बाते सुन रहे थे; महात्मा उन तीनों से बोले....बेटा भंडारा करने के लिए धन नहीं केवल अच्छे मन की जरूरत होती है ....*

*वह तीनो आश्चर्यचकित होकर महात्मा की ओर देखने लगे ....*

*महात्मा ने सभी की उत्सुकता को देखकर हंसते हुए कहा*

 *"बच्चों .....बिस्कुट का पैकेट लो और उन्हें चीटियों के स्थान पर बारीक चूर्ण बनाकर उनके खाने के लिए रख दो देखना अनेकों चीटियां उन्हें खुश होकर खाएगी हो गया भंडारा .....चावल-दाल के दाने लाओ उसे छत पर बिखेर दो चिडिया कबूतर आकर खाऐंगे ...हो गया भंडारा ...*

*बच्चों ....ईश्वर ने सभी के लिए अन्न का प्रबंध किया है ये जो तुम और मैं यहां बैठकर पूड़ी सब्जी का आनंद ले रहे है ना इस अन्न पर ईश्वर ने हमारा नाम लिखा हुआ है...*

*बच्चों तुम भी जीव जन्तुओं के लिए उनके नाम के भोजन का प्रबंध करने के लिए जो भी करोगे वो भी उस ऊपरवाले की इच्छाओं से होगा ....यही तो है भंडारा ...*

*जाने कौन कहा से आ रहा है या कोई कही जा रहा है किसी को पता भी नहीं होता कि किसको कहाँ से क्या मिलेगा ....सब उसी की माया है .....*

*तीनों युवकों के चेहरे पर एक अच्छी सुकून देने वाली खुशी थी ....*

*ऐसे अच्छे दान पुण्य के काम करते रहिए, अपार प्रसन्नता मिलती रहेगी।*
🙏 *जय जय श्री गुरूदेव* 🙏

जो कथा सुनता है उसे और कुछ करने की जरूरत नहीं है। वैसे तो तुम भगवान का दर्शन करते हो पर जब तुम कथा में बैठते हो तो भगवान तुम्हारा दर्शन करता है। मद् भक्ता यत्र गायंति तत्र तिष्ठामि नारदः।। वैसे तो आप तीर्थ में जाते हो पर सच कहूँ जब कथा में बैठते हो तो तीर्थ आपमें प्रवेश करता है। 

कथा परिस्थितियाँ नहीं बदलती भजन परिस्थितियाँ नहीं बदलता। लोग भजन को विचित्र प्रकार से परिभाषित करते हैं। अरे हम कथा में बैठे हमारा फलाना काम बन गया, दुःख सुख में बदल गया। न न। 

कथा उसे नहीं कहते जो दुःख को सुख में बदलती है कथा उसे कहते हैं जो सुख और दुःख से ऊपर उठा देती है। सुख दुःख समेकृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।। 

परिस्थिति जो बदल दे, वहिर्मुख को अंतर्मुख कर दे, समाज की असुविधाओं को सुवीधाओं में बदल दे, छोटे घर से को बड़ा घर कर दे, छोटी गाड़ी को बड़ी गाड़ी कर दे। ये सब परिस्थितियाँ हैं जो रोज बदलती है। 

पर ये प्रतिस्पर्धा समाप्त नहीं होगी अगर आपकी स्थिति नहीं बदलती तो। आज कुछ आएगा कल कुछ आएगा पर अगर भीतर ठीक हो गया तो कुछ भी आ जाए फरक नहीं पड़ेगा।

।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।

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