फकीरों के फ़क़ीर
⚘⚘श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास⚘⚘
💠 बड़ी सुन्दर सत्य कथा है अवश्य पढ़े 💠
एक बार एक सिद्ध संत श्री मोहन देव जी वृंदावन आए ! उन्होंने बोहोत सी सिद्धियाँ प्राप्त कर रखी थी ! वृंदावन में वो एक श्याम को यमुना जी की किनारे बैठे थे वहीं एक व्रध संत बैठे थे जो राधा राधा राधा बस निरंतर यही जप कर रहे थे !
मोहनदेव जी बोले
"बाबा बस नाम ही रटते रहते हो या कुछ पाया भी है ?"
संत बोले "बाबा हमें तो कुछ पाना नही ! जो पाना था वो यही नाम है सो मिल गया ! आप क्या पाने की बात कर रहे है ?"
मोहनदेव जी तो शायद इसी मौक़े का इंतज़ार कर रहे थे की अवसर मिले अपनी सिद्धी दिखाने का वो तपाक से बोले "बताना क्या दिखाते है !"
वो उठे कुछ बुदबुदाए और यमुना जी के जल पर ऐसे चलने लगे जैसे भूमि पर चल रहे हो ! पूरी नादिया पार करी और वापस आकर बोले
"देखा बाबा कैसा चमत्कार ! ये पाया हमने !"
व्रध वृंदावन के संत ने पास खड़े एक मल्लाह को बुलाया और पूछा "क्यूँ भाई नादिया पार जाने का क्या लोगे ?"
वो बोला "बाबा आपसे कुछ नही ले सकता !"
बाबा पूनः बोले "भाई हमें जाना नही किंतु साधारणतः क्या लेते हो ?"
मल्लाह बोले "बाबा चाराना !"
बाबा मोहनदेव जी से बोले "भाई जो काम चाराने में हो सकता है उसे सिद्ध करने के लिए तुमने जीवन गंवा दिया !"
"मिथ्या अभिमान और मुफ़्त की नौटंकी दिखाने के अलावा क्या हाथ लगा ? भाई जो जीवन चला गया और हरी ना मिले तो ।।।। "बाबा की आँखों से आंसुओं की धारा बह चली और गला रुंध गया और एक शब्द न निकला !
यही सार है भाई जीवन में सब मिल जाए पर जो हरी न मिले तो धिक्कार है खुद पर ! न जाने ये जीवन दुबारा मिलेगा या नही और हम इसको यूँ ही व्यर्थ कर दें ! मूर्ख न बन ऐ बंदे सब कर न कर पर उनका नाम ना रुकने पाए उनकी याद न जाने पाए !
****(जय जय श्री राधे)****
꧁ श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास ꧂
।। हरि बोल प्यारे मुक्ति मार्ग कृष्णा ब्रज वासी ।।
नज़रें तलाशती हैं जिसको,
वो प्यारा सा spna हो तुम प्यारे कृष्ण ..
मिलती है दुनियां सारी,
ना मिल कर भी तुम अपने हो प्यारे .कृष्णा.।।
मुक्ति मार्ग कृष्णा ब्रज वासी
राधे राधे जी
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