राधे कृष्ण,harekrishna,



नासा का "पार्कर सोलर प्रोब" मिशन और भगवान सूर्यदेव की महिमा

ऋग्वेद के सूर्यसूक्त के अनुसार "सभी मानवों को देखने वाले महान सूर्यदेव द्युलोक और पृथ्वी की ओर उदित होते हैं। सूर्यदेव, सभी स्थावर और गतिशील प्राणियों के पालनकर्ता हैं। वे ही मानवों के सभी पाप-पुण्य को देखते हैं"...

विष्णु सूक्त के अनुसार " महान विष्णु की महिमा तीनों लोकों में फैली हुई है। उन्होंने सौ किरणों वाली पृथ्वी पर अपने अपने तेज से तीन बार चरण रखे और पृथ्वी को प्राणियों के रहने योग्य बनाया "...

अनेक विद्वान वेदों में वर्णित भगवान विष्णु को भगवान सूर्यदेव का ही पर्याय मानते हैं जो अपनी महिमा को तीनों लोकों में बिखेरते हैं .. 

आगे इन्द्र और विष्णु की महिमा का गान किया गया है। महान प्रभु इन्द्र को माता अदिति का सबसे बड़ा पुत्र कहा गया है जिन्होंने सूर्य, ग्रहों, पर्वतों, नदियों समेत पूरी श्रष्टि का निर्माण किया है, 

जबकि माता अदिति के सबसे छोटे पुत्र भगवान विष्णु अत्यंत तेजस्वी और विस्तृत हैं जिन्होंने पृथ्वी और स्वर्ग को धारण किया है।  उन्होंने ही पृथ्वी की पूर्व दिशा को भी धारण किया हुआ है ... 

इस वर्णन के आधार पर स्वामी दयानंद सरस्वती और कई विद्वान मानते हैं कि वेदों में भगवान इन्द्र सर्वोच्च प्राकृतिक शक्ति के प्रतिनिधि और निर्माता हैं जबकि भगवान विष्णु सूर्यदेव के प्रतिनिधि हैं ... 

जो भी हो, लेकिन इतना तय है कि हमारे महान पूर्वजों ने जिस तरह प्राकृतिक शक्तियों को देखा वह अद्भुत है और सूर्यदेव के महत्व को जिस प्रकार स्वीकार किया वह भी अत्यंत उन्नत चिंतन-मनन को दर्शाता है ...

क्योंकि वास्तव में सूर्यदेव ही इस सौर्यमंडल के आधार है, और प्रत्यक्ष रूप से दिखने वाले प्रमुख देवता हैं। संपूर्ण सौर्यमण्डल का 99% मैटर सूर्य के अंदर हैं .. उसी के बचे हुए अंश से सम्पूर्ण ग्रह ,उपग्रह और हम बने हैं .. 

हमारे ग्रह में जीवन का आधार ही सूर्य है, बिना सूर्य के जलचक्र ही नही हो सकता है, सम्पूर्ण ऋतुओं की व्यवस्था सूर्य से ही चलती है, प्रकाश संश्लेषण के बिना कोई वनस्पति पैदा नही हो सकती है.. 

वास्तव में हमारा पूरा अस्तित्व ही भगवान सूर्य पर निर्भर है। वही पालनकर्ता और महान ईश्वर है ...

हमें लगता है कि फोटोन के रूप में जो प्रकाश हम तक पहुँचता है वह सिर्फ आठ मिनट पुराना होता है.. और सूर्य को इसके लिए कोई मेहनत नही करनी पड़ती है ...

लेकिन ऐसा नही है, सूर्य का जो प्रकाश हम देखते हैं। उसके लिए भगवान सूर्य को महान यज्ञ करना होता है। जैसा कि गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं कि "मैं भी हर समय महान यज्ञ करता हूँ ताकि इस श्रष्टि का संचालन होता रहे"। 

जिस फोटान को हमारी आंखे दिखती हैं .. वह फोटॉन कई करोड़ वर्ष पुराना होता है ...

जिसका जन्म होता है सूर्य के कोर में, जहां सतत रूप से नाभिकीय संलयन (nuclear fusion)  की क्रिया होती रहती है।।

सूर्य के कोर में हाइड्रोजन या प्रोटॉन स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं .. दो प्रोटॉन एक दूसरे के पास नही आते हैं बल्कि एक दूसरे से दूर भागते हैं लेकिन सूर्य के कोर में अनन्त गुरुत्वाकर्षण हैं जिस कारण मजबूरी में दो प्रोटॉन आपस में टकराते हैं ..

लेकिन यह क्रिया भी आसान नही है। लाखों वर्षों में, करोड़ो प्रोटॉन में सिर्फ एक प्रोटॉन ही दूसरे प्रोटॉन से संलयन करता है।

इसके बावजूद प्रति सेकंड करोड़ो प्रोटॉन आपस टकराते हैं ..

इस बारे में सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि सूर्य हमारे सौर्यमण्डल के संचालन के लिए कितनी तपस्या करता है .. 

जब दो प्रोटॉन आपस में टकराते हैं तो उससे हीलियम बनता है और विशाल मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है ... 

लेकिन अभी यह ऊर्जा हमें दिखने वाली ऊर्जा नही होती है .. बल्कि यह ऊर्जा गामा किरण के रूप में होती है जो अत्यंत खतरनाक होती है  ... 

और यह ऊर्जा सूर्य के अंदर ही फंसी रहती हैं ... वहाँ से इसे सूर्य के सबसे बाहरी भाग 'फ़ोटो-स्फीयर' तक आने में लाखों वर्ष लग जाते हैं और इस बीच इस ऊर्जा की घातक शक्ति काफ़ी कम हो जाती है ... 

इसके बावजूद पृथ्वी के चारों ओर विद्धमान इलक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से हमारी रक्षा करती है अन्यथा हम इतना सा भी भगवान सूर्य का तेज बर्दाश्त नही कर सकते हैं  ... 

हम तक भगवान सूर्य की जो फोटान किरण पहुँचती हैं वह बहुत ही नॉर्मल होती है। एक तरह से वह भगवान सूर्यदेव का हम पर आशीर्वाद है ... 

सूर्य से निकलने वाले फोटॉन सिर्फ इतना ही नही करते हैं बल्कि वे अनन्त यात्रा करते हैं और इस सौर्यमण्डल की अंतिम सीमा तक जाते हैं और सूर्य मंडल के चारों ओर एक Deflector shield या रक्षाकवच बनाते हैं ... इसे हिलियो-पास कहा जाता है ...

यदि भगवान सूर्य इस रक्षाकवच को नही बनाते, तो भी जीवन संभव नही था क्योंकि  Interstellar space में सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से कई गुना खतरनाक किरणें हर समय चलती रहती हैं ... वे पूरे सूर्यमंडल को तबाह कर सकती है लेकिन सूर्यदेव इससे भी हमें बचाते हैं ।।।

नासा ने जिस पार्कर सोलर प्रोब को सूर्य पर भेजा है वह सूर्य की सबसे बाहरी सतह Corona को टच कर रहा है।

यह हमारे लिए अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि आज हम सूर्य को समझ रहे हैं क्योंकि सूर्य के बिना सौर्यमण्डल को नही समझा जा सकता और न ही भविष्य में मानव जाति की दिशा तय की जा सकती है। 

भारत भी जल्द ही सूर्य पर प्रोब भेजने वाला है। यह अत्यंत आवश्यक है क्योंकि बिना विज्ञान के तीव्र विकास के और बिना स्पेस में महाशक्ति बने, हम कभी भी विश्व में शक्तिशाली राष्ट्र नही बन सकते हैं ... 

और आगे अंतरिक्ष ही हमारा भविष्य तय करेगा। उसमे भी सूर्य सबसे महत्वपूर्ण हैं ... हम अपने सूर्य को समझकर ही दूसरे सूर्यों या तारों और जीवन के बारे में समझ सकते हैं ....

इसके साथ ही मैं इस तरह प्रश्नों को ही बेकार मानता हूं कि भगवान हैं या नही, भगवान कहा है , क्या इस ब्रह्मांड को भगवान ने बनाया हैं ...

बल्कि मेरा मानना है कि यह ब्रह्मंड ही भगवान या ब्रह्म हैं, भगवान कहीं अलग नही है ... भगवान सूर्यदेव इसके साक्षात रूप है।।

अतः अगली बार जब भगवान सूर्य को देखिए, तो सोचिए कि भगवान सूर्य देव हमारे लिए कितना बड़ा महायज्ञ करते हैं ।।




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         इनायत भी श्री राधे से है... 
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यादे भी श्री राधे से है... 
          मुलाकात भी श्री राधे से है... 
सपने भी श्री राधे से है...
          अपने भी श्री राधे से है... 
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