आदमी

कुछ रिश्तों से परेशान आदमी
कुछ किश्तों से परेशान आदमी
हर रिश्ते से प्रेम गायब है
सम्बन्ध सा शेष है
कोई नहीं आम यहां
हर कोई विशेष है
अहंकार में डूबा सुवह शाम आदमी
इन्सान से बना कैसे शैतान आदमी ✍
बड़ा घर बड़ा सा कर्ज भी है
दिखावे का लगा मर्ज भी है
ईंट पत्थरों पर दे रहा जान आदमी
खुदा बना अपना करे यशगान आदमी ✍
हर कोई अपने कमरे में बन्द है
हर सम्बन्ध लेन देन का पाबन्द है
रिश्तों के बाजार में बना सामान आदमी
मतलव के लिए बदले भगवान आदमी ✍
पुराने घर से सब सामान आ गया
बस संस्कारों का डिब्बा कहीँ खो गया
माँ बाप जहाँ छोड़े ,वहीं छोड़ आया इमान आदमी
इंसानियत की भूला पहचान आदमी ✍
अचला एस गुलेरिया


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