अपनी बात जिद से मनवाता है ।
कभी गलत को सही ..
सही को गलत ठहराता है ।।
मेरा दिमाग गर्म करके ही
गर्म गर्म खाना खाता है
गलत कोई भी हो . .
वो मुझ पर ही चिल्लाता है ।।
वो जो मुझे माँ कह के बुलाता है
मुझे मेरे होने का अहसास दिलाता है
कमरे को प्लेटफार्म (रेल) बना देता है
किताबों जुराबों की मण्डी सजा सजा देता है
English गाने सुनते सुनते गर्दन बहुत हिलाता है
जाने फिरंगी शब्दो को कितना समझ पाता है ।।
वो जो मुझे माँ कह के बुलाता है
पंजाबी गाने उसको बहुत लुभाते हैं
हाँ समझ जरा कम आते हैं
शब्दों के मतलब मुझसे निकलवाता है ।।
वो जो मुझे माँ कह के बुलाता है
मुझसे ऊंचा है मेरा स्वाभिमान हो गया है
पिता के जूते डालने लगा है ...
बेटा जवान हो गया है
पापा की चीज़ें चुपके से उठाता है
पूरे घर में महाभारत करवाता है ।।
वो जो मुझे माँ कह के बुलाता है वो दूर जाता है तो घबरा जाती हूँ
जाने कैसे कैसे दिल को समझाती हूँ
फोन करती हूँ बार बार
वो तंग हो जाता है ....
खुश हूँ कहता है ,आंसू भी छुपाता है
खाना खा लेता हूँ भरोसा दिलाता है ।।
वो जो मुझे माँ कह के बुलाता
वो जो मुझे माँ कह के बुलाता
।। अचला एस गुलेरिया ।।
Shayaripub.com।।
Shayaripub.com।।
Superb 🙏🙏🌹🌹🌹
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएं