Jai Siya Ram

           🌷मज्जनु कीन्ह पंथ श्रम गयऊ। 
           🌷सुचि जलु पिअत मुदित मन भयऊ॥🌷
             🌷सुमिरत जाहि मिटइ श्रम भारू। 🌷
               🌷 तेहि श्रम यह लौकिक ब्यवहारू॥🌷

अर्थ:-इसके बाद सबने स्नान किया, जिससे मार्ग का सारी  थकावट दूर हो गयी , और पवित्र जल पीते ही मन प्रसन्न हो गया। जिनके स्मरण मात्र से (बार-बार जन्म ने और मरने का) महान श्रम मिट जाता है, उनको 'श्रम' होना- यह केवल लौकिक व्यवहार (नरलीला) है॥

                          श्री रामचरित मानस 
                              अयोध्याकांड (८६) 
                        🙏🌺 जय सीयाराम 🙏 🌺            🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷Shayaripub.com 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

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