हिन्दी कविता # व्यंग्यात्मक रचना#

कुछ रिश्तों से परेशान आदमी 
कुछ किश्तों से परेशान आदमी ✍

हर रिश्ते से प्रेम गायब है सम्बन्ध सा शेष है 
कोई नहीं आम यहां हर कोई विशेष है 
अहंकार में डूबा सुवह शाम आदमी 
इन्सान से बना कैसे शैतान आदमी ✍

बड़ा घर बड़ा सा कर्ज भी है 
दिखावे का लगा मर्ज भी है 
ईंट पत्थरों पर दे रहा जान आदमी 
खुदा बना अपना करे यशगान आदमी ✍

हर कोई अपने कमरे में बन्द है 
हर सम्बन्ध लेन देन का पाबन्द है 
रिश्तों के बाजार में बना सामान आदमी 
मतलव के लिए बदले भगवान आदमी ✍

पुराने घर से सब सामान आ गया 
बस संस्कारों का डिब्बा कहीँ खो गया 
माँ बाप जहाँ छोड़े ,वहीं छोड़ आया इमान आदमी 
इंसानियत की भूला पहचान आदमी ✍
                              अचला एस गुलेरिया.            Shayaripub.com 
                              हिन्दी शायरी दिल से 

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