जीने से ज्यादा मरता है
पंख है तंदुरुस्त ,पर उस पिंजरे में..
न उड़ता है न चलता है
....बस जीने से ज्यादा मरता है ।।
कत्ल होने को वह दुनिया में आता है
कातिल बाप बन खिलाता पिलाता है ।।.
बस जीने से ज्यादा मरता है ।।
जिंदा मांस बन दुनिया में पलता है
पंख हैं पर उखड़ गए हैं !
या जल गए हैं गरम पिंजरे में रहने से
अत्यंत दर्द पीड़ा भूख प्यास
. ..आराम मिले बस मरने से
संसार मात्र मौत का घर है उसका
विश्व नोच कर मार खाए जिसका
दर्द है यह दुकानों में बिकते..
अधमरे से जीव का
जिस की पीड़ा है स्वाद मानव जीभ का
चलो उसके दर्द को कम करें
उसे रखने का अच्छा सा प्रबंध करें
मौत से नहीं भूख प्यास से बचाओ
इस निर्णय के लिए एक मुहिम चलाओ
एक मुहिम चलाओ
एक मुहिम चलाओ
अचलाएसगुलेरिया
अचलाएसगुलेरिया
😔,,,bahut sahi likha,but kar hi kya sakte hain,inko bachaane se zyaada khaane ka swaad rakhne waale hain
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