hare krishna। # हरे कृष्णा

*माया का बाजार है ये जग*
  *कदम कदम पर धोखा है* 
*करो कमाई श्याम नाम की*
 *यही सुनहरा मौका है!*!! श्री हरि : !! 

                            भगवान् कृष्ण कहते हैं –
 'मैं अविनाशीस्वरूप अजन्मा होनेपर भी तथा सब भूत प्राणियों का ईश्वर होनेपर भी अपनी प्रकृति को अधीन करके योगमाया से प्रकट होता हूँ । 

                            हे भारत ! 
जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है तब-तब ही मैं अपने रूपको प्रकट करता हूँ।

 साधु पुरुषोंका उद्धार करनेके लिये और दूषित कर्म करनेवालोंका नाश करनेके लिये 
तथा धर्म स्थापन करनेके लिये मैं युग-युगमें प्रकट होता हूँ । 

                       हे अर्जुन !
 मेरा वह जन्म और कर्म दिव्य अर्थात् अलौकिक है,
 इस प्रकार जो पुरुष तत्त्वसे जानता है 
वह शरीरको त्यागकर फिर जन्मको नहीं प्राप्त होता है, 
किन्तु मुझे ही प्राप्त होता है।'

'सम्पूर्ण भूतोंके महान् ईश्वररूप मेरे परमभाव को न जाननेवाले मूढ़लोग मनुष्यका शरीर धारण करनेवाले मुझ परमात्माको तुच्छ समझते हैं 
अर्थात् अपनी योगमायासे संसारके उद्धारके लिये मनुष्य रूप में विचरते हुएको साधारण मनुष्य मानते हैं । 

पत्र, पुष्प, फल, जल इत्यादि जो कोई भक्त मेरे लिये प्रेमसे अर्पण करता है, 
उस शुद्ध-बुद्धि निष्काम प्रेमी भक्त का प्रेम पूर्वक अर्पण किया हुआ वह पत्र-पुष्पादि मैं (सगुणरूपसे प्रकट होकर प्रीतिसहित) खाता हूँ ।

                   🌺 तू मुझमें ही मनवाला हो, 🌺
                              मेरा ही भक्त हो, 🌺
                      🌺मेरी ही पूजा करनेवाला हो, 🌺
                    🌺मुझ वासुदेवको ही प्रणाम कर, 🌺
                       🌺 इस प्रकार मेरे शरण हुआ तू 🌺
                     🌺आत्माको मुझ में एकीभाव करके 🌺
                             🌺मुझको ही प्राप्त होगा।'🌺           ..................Shayaripub.com ............

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