यह क्षणिका मेरे परमादरणीय चाचा जी तुलिका से हमें आशीर्वाद रूप में प्राप्त हुई है।
कई बार सोचा और लगा भी हमें
ह्रदय ने भी किया स्वीकार ।
तुम हो ऐसे ...जैसे किसी
नव पल्लवित पुष्प की
सुगन्ध स्वयं हो साकार ।।
लगती हो नूतन वर्ष की गीतिका का...
अनुराग प्रबंध तुम ।
सुंदर ऋतु के आगमन का .....
नूतन पत्तियों पर अंकित
स्नेह भरा अनुबंध तुम।।
हिन्दी शायरी दिल से
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