⚘तात कृपा करि कीजिअ सोई। ⚘
⚘जातें अवध अनाथ न होई॥⚘
⚘मंत्रिहि राम उठाइ प्रबोधा। ⚘
⚘तात धरम मतु तुम्ह सबु सोधा॥⚘
अर्थ:-(और कहा -) हे तात ! कृपा करके वही कीजिए जिससे अयोध्या अनाथ न हो श्री रामजी ने मंत्री को उठाकर धैर्य बँधाते हुए समझाया कि हे तात ! आपने तो धर्म के सभी सिद्धांतों को छान डाला है॥
श्री रामचरित मानस
अयोध्याकांड (९४)
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⚘सिबि दधीच हरिचंद नरेसा। ⚘
⚘सहे धरम हित कोटि कलेसा॥⚘
⚘रंतिदेव बलि भूप सुजाना। ⚘
⚘धरमु धरेउ सहि संकट नाना॥⚘
अर्थ:-शिबि, दधीचि और राजा हरिश्चन्द्र ने धर्म के लिए करोड़ों (अनेकों) कष्ट सहे थे। बुद्धिमान राजा रन्तिदेव और बलि बहुत से संकट सहकर भी धर्म को पकड़े रहे (उन्होंने धर्म का परित्याग नहीं किया)
।।
श्री रामचरित मानस
अयोध्याकांड (९४)
हिन्दी शायरी दिल से
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