हरे कृष्ण # hare krishna

एक अहीरन नदी के उस पार रहने वाले एक ब्राह्मण पुजारी को दूध दिया करती थी ।लेकिन आने जाने की व्यवस्था ठीक न होने के कारण वह प्रतिदिन ठीक समय पर दूध नहीं पहुंचा पाती थी। 

ब्राह्मण के बुरा भला कहने पर बेचारी अहीरन ने कहा ....महाराज मैं क्या करूं मैं तो अपने घर से बड़े तड़के रवाना होती हूं लेकिन मल्लाहऔर यात्रियों के लिए मुझे बड़ी देर तक ठहरना पड़ता है।
पुजारी ने कहा अरे ईश्वर का नाम लेकर लोग जीवन के समुद्र को पार कर लेते हैं ...और तू जरा सी नदी भी पार नहीं कर सकती ।वह भोली औरत नदी पार जाने के सुलभ उपाय को सुनकर बड़ी प्रसन्न हुई।

दूसरे दिन से अहिरन ठीक समय पर दूध पहुंचाने लगी ।एक दिन पुजारी ने उससे पूछा क्या बात है अब तुझे देरी नहीं होती अहीरन ने उत्तर दिया आपके बताए हुए तरीके से ईश्वर का नाम लेती हुई मैं नदी को पार कर लेती हूं।

मल्लाह के लिए अब मुझे ठहरना नहीं पड़ता है पुजारी को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ उन्होंने कहा क्या तुम मुझे दिखला सकती हो कि तुम किस प्रकार नदी को पार कर करती हो? स्त्री उनको अपने साथ ले गई और पानी के ऊपर चलने लगी पीछे घूम कर उसने देखा तो पुजारी भी बड़ी आफत में फंसे पड़े हैं... उसने कहा महाराज क्या बात है आप मुंह से हरिराम ले रहे हैं परंतु अपने कपड़ों अपने हाथों से समेट रहे हैं ताकि वह भीगे नहीं आप उस पर पूरा विश्वास नहीं रखते ।। भगवान भक्तों के भरोसे में वास करते हैं।
                   कल्याण के सौजन्य से
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                              हिन्दी शायरी दिल से 

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