हरे कृष्ण # hare krishna

*कुमुदनी सरवर बसै चंदा बसै अकास*
*जो जाहि के मन बसै सो ताही के पास*

कुमुदनी जलाशय में रहती है और चंद्रमा आकाश में विचरण करता है कितने सहस्त्र योजनों की दूरी है दोनों में किंतु दूरी का कोई महत्व नहीं।🌷🌷🌷
 कवि कहता है कि ...उस पुष्प के कोमल मन का योग देखिए इतनी दूर रहने वाले कुमुद बांधव के विराट अंतर का विचार नहीं करता वह तो उसके उदय अस्त के साथ अपने हृदय का शाश्वत संबंध बनाए रखता है और अपने आप को उसके समीप समझता है।।
              सच्ची बात तो यह है........
        जो जाहि के मन बसै सो ताही के पास
राधा भी तो यही कहा करती थी सखि तू कहती है कि कृष्ण द्वारका में रहते हैं किंतु मैं तो देखती हूं कि मेरे मन मंदिर से वह एक क्षण को भी कहीं नहीं जाते।।
                       ⚘कल्याण के सौजन्य से✍
                            Shayaripub.com 
                         हिन्दी शायरी दिल से 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चल छोड़,shayaripub.in

      अचलाएसगुलेरिया की कलम से                   चल छोड़ चल छोड़ छोड़ कहते कहते वह हमें छोड़ कर चले गए । दिल जिनके बक्से में रखा था वह त...