राम सप्रेम कहेउ मुनि पाहीं।
नाथ कहिअ हम केहि मग जाहीं॥
मुनि मन बिहसि राम सन कहहीं।
सुगम सकल मग तुम्ह कहुँ अहहीं॥
अर्थ:-(चलते समय) बड़े प्रेम से श्री रामजी ने मुनि से कहा- हे नाथ! बताइए हम किस मार्ग से जाएँ। मुनि मन में हँसकर श्री रामजी से कहते हैं कि आपके लिए सभी मार्ग सुगम हैं॥
श्री रामचरित मानस
अयोध्याकांड (१०८)
हिन्दी शायरी दिल से
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें