Goodnight # thought of the day

हवाओं की भी अपनी अजब सियासत है...

कहीं बुझी राख भड़का दे,कहीं जलते दीये बुझा दे...!
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              औरत की जाति भी होती है क्या ??

किसी ने पूछा औरत की जाति क्या है, बताओ ? 
मैंने भी पूछा : एक मां की या एक महिला की ..?

उसने कहा - चल दोनों की बता .. 
और कुटिल मुस्कान बिखेरी ।

मैंने भी पूरे धैर्य से बताया.......

एक महिला जब माँ बनती  है 
तो वो जाति विहीन हो जाती है..

उसने फिर आश्चर्य चकित होकर पूछा - 
वो कैसे..?

मैंने कहा .....
जब एक मां अपने बच्चे का 
लालन पालन करती है, 
अपने बच्चे की गंदगी साफ करती है , 
तो वो शूद्र हो जाती है..

वो ही बच्चा बड़ा होता है तो मां बाहरी नकारात्मक ताकतों से उसकी रक्षा करती है, 
तो वो क्षत्रिय हो जाती है..

जब बच्चा और बड़ा होता है, 
तो मां उसे शिक्षित करती है, 
तब वो ब्राह्मण हो जाती है..

और अंत में जब बच्चा और बड़ा  होता है 
तो मां उसके आय और व्यय में 
उसका उचित मार्गदर्शन कर
अपना वैश्य धर्म निभाती है ..

जब.. शूद्र "क्षत्रिए "ब्राह्मण और वैश्य 
सभी नारी में समाहित है, 
तो हुई ना एक महिला या मां जाति विहीन..
तो कैसे कह दे की औरत की कोई जाती होती ।

👌

            " चार पैसे " का रहस्य 

बचपन में बुजुर्गों से एक कहानी सुनते थे कि...
इंसान 4 पैसे कमाने के लिए मेहनत करता है या... 
बेटा कुछ काम करोगे तो 4 पैसे घर में आएँगे या... 
आज चार पैसे होते तो कोई ऐसे ना बोलता, 
आदि-आदि ऐसी बहुत सी बातें हम अक्सर सुनते थे।

आख़िर क्यों चाहिए ये चार पैसे और चार ही क्यों तीन या पाँच क्यों नहीं? 

तीन पैसों में क्या कमी हो जायेगी या पाँच से क्या बढ़ जायेगा? 

आइये... 
समझते हैं कि इन चार पैसों का क्या करना है?

*पहला पैसा खाना है,* 
*दूसरे पैसे से पिछला क़र्ज़ उतारना है,*
*तीसरे पैसे का आगे क़र्ज़ देना है और...* 
*चौथे पैसे को कुएं में डालना है।*

*4 पैसों का रहस्य*

*1) खाना:-*
अर्थात अपना तथा अपने परिवार पत्नी, बच्चों का भरण-पोषण करना, पेट भरने के लिए।

*2) पिछला क़र्ज़ उतारना:-*
अपने माता-पिता की सेवा के लिए उनके द्वारा किए गये हमारे पालन-पोषण क़र्ज़ उतारने के लिए।

*3) आगे क़र्ज़ देना:-*
सन्तान को पढ़ा-लिखा कर क़ाबिल बनाने के लिए ताकि आगे वृद्धावस्था में वे आपका ख़्याल रख सके।

*4) कुएं में डालने के लिए:-*
अर्थात शुभ कार्य करने के लिए दान, सन्त सेवा, असहायों की सहायता करने के लिए, यानि निष्काम सेवा करना, क्योंकि हमारे द्वारा किए गये इन्ही शुभ कर्मों का फल हमें इस जीवन के बाद मिलने वाला है।

इन कार्यों के लिए हमें चार पैसों की ज़रूरत पड़ती है,
यदि तीन पैसे रह गए तो कार्य पूरे नहीं होंगे और पाँचवे पैसे की ज़रूरत ही नहीं है..!! 
                      यही है 4 पैसों का गणित....
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                              हिन्दी शायरी दिल से

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