जय दुर्गा भवानी # jai mata di

🙏🏻🌹ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।🙏🏻🌹

इस नवरात्रि मां दुर्गा आपको सुख समृद्धि वैभव और ख्याति प्रदान करें।
🌹जय माता दी।🌹
शारदीय नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।🌹🌹🌹



जिंदगी की हर तमन्ना हो पूरी
कोई भी आरजू ना रहे अधूरी
करते हैं हाथ जोड़कर मां दुर्गा से बिनती
की आपकी हर मनोकामना हो पूरी
शारदीय नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।🌹🌹🌹

*या देवी सर्व भूतेषु माँ रूपेण संस्थिता।*
*या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।*
*या देवी सर्व भूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता।*
*या देवी सर्व भूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता।*
*नमस्तस्यै। नमस्तस्यै।*
*नमस्तस्यै। नमो नमः।।*
  *नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ*
    *जय माता दी🙏*

                      चप्पल बाहर क्यों 
                              उतारते हैं

मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर हिंदू मंदिर में है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है।

     दीपक के ऊपर हाथ
      घुमाने का वैज्ञानिक      
              कारण

आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है।

       मंदिर में घंटा लगाने 
           का कारण

जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है।

       भगवान की मूर्ति

मंदिर में भगवान की मूर्ति को गर्भ गृह के बिल्कुल बीच में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्मक सोच से खड़े होने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता दूर भाग जाती है।

       परिक्रमा  करने के 
      पीछे वैज्ञानिक कारण

हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है। परिक्रमा 8 से 9 बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है।
            🙏🏻: कृपया सनातन धर्म के मंदिर पूजन के प्रति इन वैज्ञानिक आधारों को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए ताकि आम जन मंदिर की इन व्यवस्थाओं को समझ सके..
                🙏🙏जय मां चिंतपूर्णी की 🙏🙏


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Goodmorning

तुम्हारा  एक प्रणाम🙏🏼 बदल देता है सब परिणाम ।।          Shayaripub.in