मेरे बिना क्या अपनी ज़िंदगी गुज़ार लोगे तुम...??
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इश्क़ हूँ कोई बुखार नहीं जो दवा से उतार लोगे तुम....!
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रोशनी यूँ तीरगी का ज़िस्म मल कर कीजिए।
कुछ करिश्मा अब चरागों सा भी जल कर कीजिए
कब तलक मुझे ही झुकाने का करोगे इंतज़ार
दूरीयाँ कम बीच की कुछ खुद भी चल कर कीजिए
ख्वाहिशें कुछ तिफ़्ल सी दिल में मेरे बसने लगी।
मेरे ख्वाबों को जवां आँखों में पल कर कीजिए।।
हादसों ने मंज़िलों की राह मुश्किल की है गर।
अब सफर बाकी है जो रस्ता बदल कर कीजिए।।
कोशिशें शिद्दत से है पाने की तुझको चाह है
जो भी करना हो नया थोड़ा मचल कर कीजिए।।
शमअ से है गर मुहब्बत कैफ़ियत वेसी ही हो।
इश्क़ का इज़हार उतना ही पिघल कर कीजिए
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