उसकी यादों को भुलाते हुए डर लगता है
इन चिराग़ों को बुझाते हुए डर लगता है..
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मैं मरूँगा तो नहीं तुम से बिछड़ कर लेकिन
ज़हर कैसा भी हो खाते हुए डर लगता है..
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बात सपनों भी रहती थी जारी जिससे
अब फ़ोन लगाते हुए डर लगता है..
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उसने जिस शर्ट में सीने से लगाया था मुझे
मुझको वो शर्ट धुलाते हुए डर लगता है
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तुमने जिस नोट पे चाहत से लिखा था 'मेरा नाम
मुझको वो नोट चलाते हुए डर लगता है
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दिल की शाखों से मुहब्बत के परिंदे ''राज''
अपने हाथों से उड़ाते हुए डर लगता है
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