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      अचलाएसगुलेरिया
बात के बारे में कोई बात नहीं करता 
जिस बात के ऊपर हर बात टिकी है 

परिपक्वता रिश्तो में कितनी है 
बुरे वक्त में उसकी पहचान छिपी है 

मुझे डूबता देख कर किनारे पर 

जो अपनी कश्ती ले गए इस दौर में 
उन चेहरों पर मेरी नजर टिकी है 
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2 टिप्‍पणियां:


  1. ● ज़िन्दगी के रथ में लगाम बहुत है अपनो के अपनो पर ‘इल्जाम’ बहुत है ये शिकायतों का दौर देखता हूँ तो थम सा जाता हूँ, लगता है उम्र कम है और ‘इम्तिहान’ बहोत है।

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