.तेरी इसी अदा पर..तेरा मोहताज होना चाहिए था
बहुत रोए तेरे कूचे से कूच करने के बाद
पर शायद... बिछड़ते वक़्त रोना होना चाहिए था
मेरी बेवफाई पर ..जो चुप है ..
उसे हक जता अपना ..नाराज होना चाहिए था
मेरा हाल पूछते हो ..बेगानों की तरह
तुम्हें तो सब मालूम होना चाहिए था
बड़ी उम्र तजुर्बा बड़ा है... तो साहब
सिर्फ मेरे नहीं ...बड़ों के काम आना चाहिए था
अनकही कहानियां ..इश्क में नाकामियां..
दफन किसों की ...कब्र पर
दिया जलाना चाहिए था
मेरे दिए फूलों को ...मसल भी सकते थे ..
धागा पिरो इन में ..
. न मसला बनाना चाहिए था
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