झण्डा,तिरंगा

मेरी छत पर तेरी छत पर मस्ती से लहराता झंडा ।

आजादी की अमर कहानी देखो हमें सुनाता झंडा ।

मानवता हम सबका धर्म है यही हमें सिखलाता झंडा 

तीन रंगों की शक्ति अपनी आसमान को दिखाता झंडा।
 
भक्त सिंह जैसे शेरों के शौर्य गीत दोहराता झंडा।।
                                                    अचलाएसगुलेरिया

3 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. आजादी के अमृत महोत्सव पर
      छलका जज्बा देशभक्ति का
      भारत सजा तिरंगे से
      घर घर फहरा तिरंगा,
      मेरे घर का छप्पर हुआ पावन,
      फहरा उस पर तिरंगा झंडा
      प्रचंड हवा में डटा रहा
      बारिश की बूंदों से हुआ निर्मल,
      धूप की तपिश से बना स्वर्णिम,
      विपरीत परिस्थितियों में,
      विपरीत फिजाओं में,
      रंग पड़ा ना फीका,
      आजादी के अमृत महोत्सव पर
      घर घर फहरा तिरंगा,
      तिरंगे को आकार दिया पिंगलाई ने,
      साकार किया संविधान ने,
      पिचत्तर वर्षों से मुक्त पवन में
      चूम रहा अंबर को,
      फहर रहा शान से,
      अभिमान है भारतीयों का,
      यूं ही चिरंतन हिमालय से कन्याकुमारी तक
      फहरता रहे तिरंगा घर घर
      VG

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