कौन कहता है कि कुछ नहीं
तेरे मेरे दरमियाँ...
वो एहसासों का हुजूम,
वो जज़्बातों का सैलाब,,
देव की कलम से
वो अनकही बातें,
वो अनछुए अरमाँ,,
बिखरी सी ख़्वाहिशें,
फैले से ख़्वाब,,
वो सुकूँ के बिछे गलीचे,
वो ख़यालातों के बगीचे,,
वो महकती हुई साँसें,
उम्मीदों की मुस्कान,,
कौन कहता है कि कुछ नहीं
तेरे मेरे दरमियाँ...
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