my son, बेटा

मुझे कुछ न कुछ सुनाता है
अपनी बात जिद से मनवाता है
कभी गलत को सही
सही को गलत ठहराता है
मेरा दिमाग गर्म करके ही
गर्म गर्म खाना खाता है
गलत कोई भी हो
वो मुझ पर ही चिल्लाता है
वो जो मुझे माँ कह के बुलाता है
मुझे मेरे होने का अहसास दिलाता है
कमरे को प्लेटफार्म (रेल) बना देता है
किताबों जुराबों की मण्डी सजा सजा देता है
English गाने सुनते सुनते गर्दन बहुत हिलाता है
जाने फिरंगी शब्दो को कितना समझ पाता है
वो जो मुझे माँ कह के बुलाता है 

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 thank God my blog is start working again