रुलाने के बाद मुझको, हंसाता भी बहुत है।
वो मेरा इश्क है मुझे याद, आता भी बहुत है। Shayaripub.com
कभी कहता है कि रिश्ता, अब खतम हो चुका है,
और जमाने में मुझे अपना, बताता भी बहुत है। Shayaripub.com
जिसने रक्खें थे कभी सोलह उपवास मेरी खातीर,
वो आजकल मुझसे पीछा, छुड़ाता भी बहुत है। Shayaripub.com
मुझे देखने की खातीर जो तड़पता बहुत था,
अब जाने क्यों वो नज़रें, चुराता भी बहुत है। Shayaripub.com
हर बात पर जिसके कभी, निकल आते थे आसूं,
सुना है वो शख्स अब, मुस्कुराता भी बहुत है।
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