दिल शायराना

    बेवफा --
याद इक भुला अफ़साना आ गया 
अश्क पलकों पर मेरे फिर पुराना गया 

कोई आस है न कोई मेहरबान 
हाय अब कैसा ज़माना आ गया 

रूबरू उस के हुआ जब आईना 
हुस्न अपने आप ही शर्मा गया 
जान गया था वो मेरी शादा-दिली 
इस लिए बातों ही में बहला गया 

चर्चा था मेरा उसकी  हर महफिल में 
तभी  समाने आने से वो कतरा गया   
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