जीवन चलने का नाम
चलते रहो सुबह शाम
*राधे - राधे
॥आज का भगवद् चिन्तन॥
16 - 09 - 2023
॥कृष्ण तत्व॥
संतों एवं शास्त्रों का यही मत है कि श्रीकृष्ण होना जितना कठिन है, श्रीकृष्ण को समझना उससे भी कई अधिक कठिन हो जाता है। कुछ लोगों द्वारा उन योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के केवल एक पक्ष को जन मानस के समक्ष रखकर उन्हें भ्रमित किया जाता है।
श्रीकृष्ण समग्र हैं तो उनके जीवन का मुल्यांकन भी समग्रता की दृष्टि से होना चाहिए। श्रीकृष्ण विलासी हैं तो महान त्यागी भी हैं। श्रीकृष्ण शांति प्रिय हैं तो दूसरी ओर क्रांति प्रिय भी हैं। श्रीकृष्ण मृदु हैं तो वही कृष्ण कठोर भी हैं। कृष्ण मौन प्रिय हैं तो वाचाल भी बहुत हैं। कृष्ण रमण विहारी हैं तो अनासक्त योग के उपासक भी हैं।
श्रीकृष्ण में सब कलाएं हैं और पूरी की पूरी हैं। पूरा त्याग-पूरा विलास। पूरा ऐश्वर्य-पूरी लौकिकता। पूरी मैत्री - पूरा वैर । पूरा अपनत्व पूरी अनासक्ति। जिस प्रकार दीये द्वारा दिवाकर का मुल्यांकन नहीं हो सकता, उसी प्रकार तुच्छ बुद्धि से उस समग्र और विराट चेतना का मुल्यांकन भी नहीं हो सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें