श्रद्धांजलि
रौशन करना महफिल को और फिर अनायास तेरा खो जाना
हमको रुला गया मधुर तेरा चिर निद्रा में सो जाना
यह भी कोई बात हुई कि सबको जगाना खुद सो जाना
सबको जोड़ना अपनेपन से फिर सबसे दूर यूं हो जाना
ढूंढ रहे हैं साथी तेरे ढूंढ रहा तुम्हें जमाना
हमको रुला गया मधुर तेरा चिरनिद्रा में सो जाना
गीत गांव के गाते तुम मधुर स्वरों में पिरो करके
कविता तेरी हर याद करें कभी हंस करके कभी रो करके
दर्द दे रहा तेरा हमको यूं महफिल से उठ जाना
हमको रुला गया मधुर तेरा चिरनिद्रा में सो जाना
जान प्राण आत्मा तुम्हारी शाम साहित्य दर्पण था
मां भारती के चरणों में मधुर सा जो समर्पण था
अच्छा नहीं लग रहा तेरा सबका साथ छोड़ जाना
हमको रुला गया मधुर तेरा चिरनिद्रा में सो जाना
बच्चे याद करें पापा को संगिनी तेरी चुपचाप खड़ी
परिवार से तुम को छीन ले गई, कैसी अनहोनी सी घड़ी
जाते तो सब ही हैं पर तेरा यूं असमय जाना
हमको रुला गया मधुर तेरा चिरनिद्रा में सो जाना
। अचला एस गुलेरिया
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें