जनवरी सपने दिखाती है..
और दिसम्बर औकात..
जिन्दगी का एक और वर्ष कम हो चला,
कुछ नए तजुर्बे इसमें जोड़ चला..कुछ इच्छाएं दिल मे रह गयी
कुछ बिन मांगे पूरी हो गयी..
कुछ अपने थे जो अब किस्सा बन गए
कुछ नये जुड़े , सफर का हिस्सा बन गए
कुछ जाने पहचाने, अनजान हो गये हैं
कुछ मुझसे कुछ खुद से परेशान हो गएहैं
कुछ दुनियादारी से हम दूर रहने लगे हैं
बहुत खुश रहते हो! दोस्त कहने लगे हैं
बहुत बातें हो गयी अब अगले साल मिलेंगे
फ़िर नयी दास्तान नए अंदाज में कहेंगे
🌹🌹अचला स गुलेरिया🌹🌹
Shayaripub.com
🌹🌹🌹🌹🌹🌹⚘हिन्दी शायरी दिल से 🌹🌹🌹🌹🌹
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