🌷यह सुधि गुहँ निषाद जब पाई। 🌷
🌷मुदित लिए प्रिय बंधु बोलाई॥🌷
🌷लिए फल मूल भेंट भरि भारा। 🌷
🌷मिलन चलेउ हियँ हरषु अपारा॥🌷
अर्थ:-जब निषादराज गुह ने यह खबर पाई, तब आनंदित होकर उसने अपने प्रियजनों और भाई-बंधुओं को बुला लिया और भेंट देने के लिए फल, मूल (कन्द) लेकर और उन्हें भारों (बहँगियों) में भरकर मिलने के लिए चला। उसके हृदय में हर्ष का पार नहीं था॥
श्री रामचरित मानस
अयोध्याकांड (८७)
🙏🌺 जय सीयाराम 🙏 🌺
🌼🌴हिन्दी शायरी दिल से🌴🌼
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