।।श्री शैलश्र्ङ्गे के विबुधातिसंङ्गे तुलाद्रितुंङ्गे अपि मुदा वसंतम
तमर्जुनं मल्लिक पूर्वमेकम नमामि संसार समुद्र सेतुम ।।
तमर्जुनं मल्लिक पूर्वमेकम नमामि संसार समुद्र सेतुम ।।
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⚘⚘।।जो ऊंचाई के आधा आदर्श भूत पर्वतों से भी बढ़कर ऊंचे शैल के शिखर पर, जहां देवताओं का अत्यंत समागम होता रहता है प्रसन्नता पूर्वक निवास करते हैं और जो संसार सागर से पार कराने के लिए पुल के समान हैं उन एकमात्र प्रभु मल्लिकार्जुन को मैं नमस्कार करता हूं।।⚘⚘
⚘⚘।।जो ऊंचाई के आधा आदर्श भूत पर्वतों से भी बढ़कर ऊंचे शैल के शिखर पर, जहां देवताओं का अत्यंत समागम होता रहता है प्रसन्नता पूर्वक निवास करते हैं और जो संसार सागर से पार कराने के लिए पुल के समान हैं उन एकमात्र प्रभु मल्लिकार्जुन को मैं नमस्कार करता हूं।।⚘⚘
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