hindi kavita. # मां. #

आज फिर माँ का आंचल याद आता है 
मेरा बचपन मेरा गाँव,अक्सर मुझे बुलाता है ।

धूल भरी सडकों में,बस के पीछे भागना 
धूल धूसरित देख,माँ का हमको डांटना ।
फिर प्यार से गले लगाना कब,भूल पाता है
मेरा बचपन मेरा गाँव अक्सर मुझे बुलाता है 

वो रामलीला वो सिनेमा दिखाने वाले 
गाँव के superstar हंसाने रुलाने वाले 
बलदेव जीजा सन्तोष भाई,
हर चेहरा कहीं खो जाता है 
मेरा बचपन मेरा गाँव अक्सर मुझे बुलाता है। 

चार दुकानों का,बाजार बड़ा लगता था
हर कोई बहुत, अपना सा लगता था
वो सादा सा प्रेम अपनापन 
कहाँ भूल पाता है 
मेरा बचपन मेरा गाँव अक्सर मुझे बुलाता है । 

दो महीने की छुट्टी में,दादी के घर जाना 
बारिश में मुहल्ले भर में,दौड लगाना 
वो लाड़ वो लाड़ी ,वो बाजार वो कराड़ी 
दिल बार बार वहीं चला जाता है
मेरा बचपन मेरा गांव अक्सर मुझे बुलाता है 

हर मर्ज का इलाज माँ के पास था 
डैडी के कन्धा,अपना अन्तरिक्ष वाला जहाज था 
दादा को सबको जय भगवान कहना रुला ही जाता है 
मेरा बचपन  मेरा गाँव अक्सर मुझे बुलाता है   
                                           ।                                                                    अचलाएसगुलेरिया 
                          shayaripub.com 

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