🦋मागी नाव न केवटु आना। 🦋
🌹कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥🌹
🦋चरन कमल रज कहुँ सबु कहई। 🦋
🌹मानुष करनि मूरि कछु अहई॥🌹
अर्थ:-श्री राम ने केवट से नाव माँगी, पर वह लाता नहीं। वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म (भेद) जान लिया। तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है,॥
श्री रामचरित मानस
अयोध्याकांड (९९.२)
अर्जुन उवाच कैर्लिङ्गैस्त्रीन्गुणानेतानतीतो भवति प्रभो।
किमाचारः कथं चैतांस्त्रीन्गुणानतिवर्तते॥
अर्जुन बोले- इन तीनों गुणों से अतीत पुरुष किन-किन लक्षणों से युक्त होता है और किस प्रकार के आचरणों वाला होता है तथा हे प्रभो! मनुष्य किस उपाय से इन तीनों गुणों से अतीत होता है?
॥
भगवद गीता
प्रकृति के तीन गुण
(अध्याय १४)
हिन्दी शायरी दिल से
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