shubh mangal # jai hanuman

जो है जग पावन भूतनाथ
जो आशुतोष है अनुपम है
जो  है कराल  अरूण महाकाल
सच्चिदानंद है निरुपम है।।
जो निराकार है निर्विकल्प
जो गिरा ज्ञानगोतीतम है।।
जिसके ईश्वर श्री रामचंद्र
वह रामचंद्र के ईशम हैं।।
जो दिगंबरं गौरीशं हैं
जो परम कृपालु गिरीशम है ।।
जिसके मस्तक पर बाल इंदु
कलोल्लित सिर पर गंगा है ।।
शमशान बिहारी जो मधुकर
कंठ में लसित भुजंगा है।।
ऐसे देवों में महादेव के प्रभु ने
जब अवतार लिया
बन गए स्वयं  हरि नर जब
तो हर ने वानर तन धार लिया।।
हो मान रहित की प्रभु सेवा
दुष्टों का मान घटाया है ।।
श्री रामभद्र की सुयश पताका को
नभ तक फहराया है।।
हरी नर बनकर श्री राम बने तो
तो हर हनुमान कहाया है ।।
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