तबहिं लखन रघुबर रुख जानी।
पूँछेउ मगु लोगन्हि मृदु बानी॥
सुनत नारि नर भए दुखारी।
पुलकित गात बिलोचन बारी॥
अर्थ:-उसी समय श्री रामचन्द्रजी का रुख जानकर लक्ष्मणजी ने कोमल वाणी से लोगों से रास्ता पूछा। यह सुनते ही स्त्री-पुरुष दुःखी हो गए। उनके शरीर पुलकित हो गए और नेत्रों में (वियोग की सम्भावना से प्रेम का) जल भर आया॥
श्री रामचरित मानस
अयोध्याकांड (११७)
हिन्दी शायरी दिल से
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