।। जय सियाराम* ।।
सहजता अमृत है,असहजता विष हैं ।
ये कभी खत्म होने वाला नही,
देखने मात्र से तृप्ति हो जाती है..ये सहजामृत हैं ।
सहजता वो अमृत है जिसे पीना नही,जीना हैं ।
...बापू*
।। सहज ।।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चल छोड़,shayaripub.in

      अचलाएसगुलेरिया की कलम से                   चल छोड़ चल छोड़ छोड़ कहते कहते वह हमें छोड़ कर चले गए । दिल जिनके बक्से में रखा था वह त...