बिना पूछे मुझे तेरा क्यों? दर्द-ए-दिल सुनाता है
सुबह की किरणें तुझे जो देख कर
यूं मुस्कुराती हैं
तेरी रातों के सारे राज
मुझ पर खोल जाती हैं......
..कभी गर्मी कभी सर्दी
जो मौसम ..लेकर आता है
तेरे जलवों की बातें कर मुझे अक्सर जलाता है
तू जिन राहों पे जाती है
वह पलकों को बिछा करके
तेरा पता दे जाती हैं ..
जमाने से छुपा कर के।।
तेरे जलवों की बातें कर मुझे अक्सर जलाता है
तू जिन राहों पे जाती है
वह पलकों को बिछा करके
तेरा पता दे जाती हैं ..
जमाने से छुपा कर के।।
अचलाएस गुलेरिया
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