तेरी यादों की चिड़िया
अक्सर बैठ जाती है मन की मुंडेर पर
कुछ लम्हे गुलेल दागते हैं
भगाते हैं उसे..
फिर कुछ दाने लम्हों के
...........बैठ जाते हैं!!!
उसके आगे बिखेर कर
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मैं तो माटी का एक हिस्सा था बेरस
पावन गंगा ने आकर बनाया मुझे बनारस.
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“काश...वो ये समझ पाता,
कि कम्बख़्त "काश" से रोज कितना लड़ते हैं हम।”
Hindi shayari dil se
वाह..क्या बात है 👌❤️❤️👌
जवाब देंहटाएंBhut hi sunder.keep it up.
जवाब देंहटाएंChidiya Ko koi pyar nahin karta 5G network ke liye main ja rahi hun
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