jai siya ram# जय सियाराम

          बरषि सुमन कह देव समाजू। 
           नाथ सनाथ भए हम आजू॥
          करि बिनती दुख दुसह सुनाए। 
          हरषित निज निज सदन सिधाए॥ 

अर्थ:-फूलों की वर्षा करके देव समाज ने कहा- हे नाथ! आज (आपका दर्शन पाकर) हम सनाथ हो गए। फिर विनती करके उन्होंने अपने दुःसह दुःख सुनाए और (दुःखों के नाश का आश्वासन पाकर) हर्षित होकर अपने-अपने स्थानों को चले गए॥ 

               श्री रामचरित मानस 
               अयोध्याकांड (१३२) 

    स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्‌।
     नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन्‌॥ 

और उस भयानक शब्द ने आकाश और पृथ्वी को भी गुंजाते हुए धार्तराष्ट्रों के अर्थात आपके पक्षवालों के हृदय विदीर्ण कर दिए
॥ 

भगवद गीता
कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्य निरिक्षण
(अध्याय १) 

🙏 हनुमानजी महाराज प्रिय हो 🙏
🙏 सदगुरु भगवान प्रिय हो 🙏 

           सदगुरु स्मरण के साथ 

            🙏🌺 शुभ सवार 🙏🌺
          🙏🌺 जय सीयाराम 🙏 🌺

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Goodmorning

तुम्हारा  एक प्रणाम🙏🏼 बदल देता है सब परिणाम ।।          Shayaripub.in