⚘नाह नेहु नित बढ़त बिलोकी।⚘
⚘हरषित रहति दिवस जिमि कोकी॥⚘
⚘सिय मनु राम चरन अनुरागा। ⚘
⚘अवध सहस सम बनु प्रिय लागा॥ ⚘
अर्थ:-स्वामी का प्रेम अपने प्रति नित्य बढ़ता हुआ देखकर सीताजी ऐसी हर्षित रहती हैं, जैसे दिन में चकवी! सीताजी का मन श्री रामचन्द्रजी के चरणों में अनुरक्त है, इससे उनको वन हजारों अवध के समान प्रिय लगता है॥
श्री रामचरित मानस
अयोध्याकांड (१३८)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें