emotional shayari



राज जी के अल्फाज़ 
बात आपसे क्या हुई, बीमार को दवा मिल गई।
शुष्क बेजान सांसों को, ताजा हवा मिल गई।

कबसे खड़ी थी आहें, पलकें बिछाए राहों पर
महज़ आहट ही से आपकी, रातें जवां मिल गई।

खिल गया गुलाब कोई, लब-ए-रुख़्सार पर मेरे
ठहरी सी जि़ंदगानी को, रौनके फि़जा़ मिल  गई।

आपकी  याद का मौसम, अब मुझ पर छा गया
इस बीमार-ए-दिल को, फिर से दवा मिल गई।

एक दस्तक रह गयी दरमियां, बस मेरे और तुम्हारे
शेष बस इतना जुनून-ए-इश्क़ को सज़ा मिल गई।

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