रात्रि दिवस का पहिया चलता
जीवन पल पल रंग बदलता ।।
अपने कर्म सुधारें हर पल ।
बेहतर कर लें आने वाला कल।
वृक्ष मेहनत से वही लगाना
जिसके मिले तुम्हें मीठे फल।
जग में वह प्रकाश बनों... जैसे प्राची में सूर्य निकलता
प्रकृति सरलता हमें सिखाती।
प्रेम से अपने पास बिठाती ।
देकर सुख दुख भरी यह बगिया
नए-नए हमें पाठ पढ़ाती
तुझे बांटनी जग में खुशबू बनना है गुलाब महकता
अचलाएसगुलेरिया
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