छोड़ो ये बहस और तकरार की बातें
ये बताओ रात को आज सपने में क्यूँ नहीं आये..!!
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दिखने की चीज़ है न दिखाने की चीज़ है
उल्फ़त तो यार दिल से निभाने की चीज़ है
बेशक है धन ज़रूरी गुज़ारे के वास्ते
इज़्ज़त भी यार जग में कमाने की चीज़ है
कर के भलाई पल में जताते हो किसलिए
नेकी तो यार कर के भुलाने की चीज़ है
रहने दो राज़ कोई तो सीने में दफ़्न तुम
हर बात कब किसी को बताने की चीज़ है
यारों मत नुमाया इबादत को कीजिये
नामे रब तो दिल में बसाने की चीज़ है
हिन्दी शायरी दिल से
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